जम्मू-कश्मीर में सीजफायर उल्लंघन में सीवान के लाल ने गंवाई जान
देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर सपूत, बड़हरिया प्रखंड के वसिलपुर गांव निवासी शहीद रामबाबू सिंह का पार्थिव शरीर जब मंगलवार को सिवान पहुंचा, तो हर आंख नम हो गई। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। गांव में शोक का माहौल है, लेकिन साथ ही यह गर्व भी है कि उनके गांव का बेटा मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हुआ।
चार महीने पहले हुई थी शादी, बनने वाले थे पिता
महज चार महीने पहले ही शहीद रामबाबू सिंह की शादी हुई थी। उनकी पत्नी इस समय गर्भवती हैं और जल्द ही उनके बच्चे को जन्म देने वाली हैं। पति की शहादत ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया है। उनका कहना है कि अब उनके जीवन में कोई सहारा नहीं बचा है। उन्होंने सरकार से एक नौकरी की मांग की है ताकि वह अपने बच्चे का पालन-पोषण स्वाभिमान के साथ कर सकें।
सैनिक सम्मान के साथ निकला अंतिम जुलूस, “शहीद अमर रहें” के नारों से गूंजा रास्ता
तरवारा से वसिलपुर गांव तक शहीद रामबाबू सिंह का पार्थिव शरीर सैनिक सम्मान के साथ जुलूस में ले जाया गया। इस दौरान पूरे रास्ते में “शहीद अमर रहें” और “भारत माता की जय” के नारों से वातावरण गूंज उठा। हजारों की संख्या में ग्रामीण, समाजसेवी, और जनप्रतिनिधियों ने श्रद्धांजलि दी। समाजसेवी अर्जुन यादव की उपस्थिति विशेष रही।
प्रशासनिक अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि, गांव में पसरा मातम
शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए जिला प्रशासन की ओर से डीएम मुकुल कुमार गुप्ता, एसपी अमितेश कुमार सहित कई वरीय अधिकारी मौके पर पहुंचे। शहीद के पिता स्व. रामविचार सिंह हरिहरपुर पंचायत के उप मुखिया रह चुके थे। उनके भाई अखिलेश सिंह हजारीबाग में लोको पायलट हैं। शहीद के ससुर, परिजन और गांव के लोग गहरे शोक में हैं, लेकिन उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व भी है।
अब सरकार और समाज की जिम्मेदारी
रामबाबू सिंह की शहादत केवल एक परिवार का नहीं, पूरे देश का बलिदान है। अब यह सरकार और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है कि शहीद के परिवार को आर्थिक सहायता, सम्मान और भविष्य की सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि उनकी पत्नी और संतान को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।