यूपी-बिहार के दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली इस अहम सड़क की हालत बद से बदतर, ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से की गुहार, लेकिन सुनवाई नहीं
सिवान – सिवान जिले के गुठनी प्रखंड की जतौर-बेलौरी सड़क इन दिनों बदहाली की मिसाल बन चुकी है। कभी ग्रामीणों के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली यह संपर्क सड़क अब गड्ढों, कीचड़ और दुर्घटनाओं का प्रतीक बन चुकी है। नहर के किनारे बनी यह सड़क बारिश के साथ और भी खतरनाक हो गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन मुखिया अमर सिंह द्वारा बनाई गई इस सड़क की हालत बीते 13 वर्षों में लगातार बिगड़ती चली गई, लेकिन न मरम्मत हुई, न निर्माण। अब हालात यह हैं कि बाइक, चारपहिया या एंबुलेंस तक का गुजरना मुश्किल हो गया है।
“बाइक फिसलती है, मरीजों को अस्पताल पहुंचाना जोखिम भरा”
बेलौरी निवासी और सेवानिवृत्त शिक्षक काशीनाथ मिश्र ने बताया कि यह सड़क रामजानकी मार्ग और गुठनी-मैरवा मार्ग को जोड़ती है। इससे दर्जनों गांवों के हजारों लोग प्रभावित होते हैं, लेकिन मरम्मत के अभाव में यह जानलेवा बन चुकी है।
शिवलाल भगत ने बताया, “ब्लॉक, अस्पताल या थाना—किसी भी जरूरी काम के लिए यही रास्ता है, लेकिन अब हर बार निकलते समय डर लगता है।”
संतोष गुप्ता कहते हैं, “बारिश में बाइक तो क्या, चारपहिया वाहन भी नहीं चल पाता। मरीज को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाना भी बहुत कठिन हो गया है।”
हर बारिश में बनते हैं गड्ढे, हर दिन होते हैं हादसे
सूरज पांडेय बताते हैं कि सड़क की स्थिति देखकर लगता ही नहीं कि कभी इसका निर्माण हुआ था। “बारिश के बाद दुर्घटनाएं आम बात हैं। कई बार अधिकारियों और नेताओं को अवगत करा चुके हैं लेकिन कोई असर नहीं हुआ।”
मोतीलाल यादव और अमरजीत चौहान ने बताया कि सड़क यूपी सीमा के कई गांवों को जोड़ती है, लेकिन उपेक्षा के कारण यह सिर्फ नाम की सड़क रह गई है।
जनप्रतिनिधियों पर भड़के ग्रामीण
जयप्रकाश यादव ने नाराजगी जताते हुए कहा
“जनप्रतिनिधियों को चुनाव में गांव की याद आती है, लेकिन विकास के समय सब गायब हो जाते हैं।”
राजेश राम बोले
“वादे बहुत किए जाते हैं लेकिन धरातल पर आज तक कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीण अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।”
कौशल किशोर मिश्र ने कहा
“विधायक और सांसद से कई बार संपर्क किया गया, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। हर साल हालात बदतर होते जा रहे हैं।”
13 साल से मरम्मत का इंतजार
रामबदन गुप्ता ने बताया कि सड़क पर ईंटकरण के बाद से कोई काम नहीं हुआ। “अब तो पैदल चलना भी कठिन हो गया है।”
त्रिलोकी नाथ मिश्र बोले, “हजारों लोग रोजाना इस रास्ते से गुजरते हैं, फिर भी कोई अधिकारी इसे देखने नहीं आता।”
शिवकुमार गुप्ता ने कहा कि बारिश के मौसम में लोग वैकल्पिक रास्ता ढूंढते हैं, लेकिन वह भी संभव नहीं हो पाता।
ग्रामीणों की चेतावनी: जल्द हो निर्माण, नहीं तो आंदोलन होगा
ग्रामीणों ने चेताया है कि अगर जल्द ही सड़क निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे। जतौर-बेलौरी सड़क न केवल क्षेत्र की जीवनरेखा है बल्कि इसका निर्माण जनसुरक्षा के लिहाज से भी अनिवार्य है।