ब्लैकआउट अलर्ट! 7 मई की मॉक ड्रिल क्या युद्ध से पहले की चेतावनी है?

ब्लैकआउट अलर्ट! 7 मई की मॉक ड्रिल क्या युद्ध से पहले की चेतावनी है?

देशभर के नागरिकों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत सरकार का गृह मंत्रालय 7 मई 2025 को एक राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने जा रहा है। यह मॉक ड्रिल देश के 244 वर्गीकृत नागरिक सुरक्षा जिलों में ग्राम स्तर तक आयोजित की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य है – देश के कोने-कोने में नागरिक सुरक्षा तंत्र की वास्तविक समय में परीक्षा लेना और उसकी तैयारियों को परखना।

इससे पहले 2 मई 2025 को गृह मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया था, जिसमें कमजोर क्षेत्रों में नागरिक सुरक्षा की तैयारियों को मजबूत करने पर विशेष बल दिया गया था। अब उसी के विस्तार के रूप में यह मॉक ड्रिल पूरी ताकत और व्यापक भागीदारी के साथ होने जा रही है।

मॉक ड्रिल के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?

आप सोच रहे होंगे कि यह मॉक ड्रिल आखिर किसलिए है? तो चलिए, सरल भाषा में समझते हैं।

इस अभ्यास का उद्देश्य है—

  • हवाई हमलों से चेतावनी देने वाले सिस्टम की जांच करना।
  • भारतीय वायुसेना के साथ हॉटलाइन/रेडियो लिंक को सक्रिय करना।
  • कंट्रोल रूम्स और शैडो कंट्रोल रूम्स की कार्यक्षमता को परखना।
  • आम नागरिकों, छात्रों, स्वयंसेवकों को यह सिखाना कि किसी भी आपात स्थिति में खुद को कैसे सुरक्षित रखें।
  • ब्लैकआउट (बिजली गुल) स्थितियों के दौरान की रणनीति का मूल्यांकन।
  • जरूरी सरकारी और औद्योगिक ठिकानों की ‘कैमोफ्लाजिंग’ यानी छिपाने की व्यवस्था की परख।
  • दमकल सेवा, बचाव कार्य, और आपात प्रबंधन में लगे कर्मचारियों की प्रतिक्रिया की जांच।
  • और अंत में – सबसे अहम – यह देखना कि जब आपात स्थिति आए, तो निकासी की योजना कितनी प्रभावी है।

गाँव तक पहुँचेगा ये अभ्यास

गृह मंत्रालय का कहना है कि इस बार की मॉक ड्रिल केवल कागज़ों या शहरों तक सीमित नहीं रहेगी। इसे गाँव-गाँव, ज़िला-ज़िला तक ले जाया जाएगा। देश के हर कोने में नागरिक सुरक्षा के हर स्तर की सघन परीक्षा की जाएगी।

यह अभ्यास दर्शाता है कि सरकार अब केवल बड़ी घटनाओं के बाद एक्शन लेने वाली नहीं, बल्कि पूर्व तैयारी और अभ्यास के ज़रिए संभावित खतरे से पहले ही निपटने की सोच रखती है।

क्या यह पाकिस्तान से युद्ध की तैयारी है?

7 मई को होने वाली राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल को लेकर कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह पाकिस्तान के साथ संभावित युद्ध की तैयारी का संकेत है। हाल ही में 23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिसकी जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन माना जाता है।

इसके बाद से नियंत्रण रेखा (LoC) पर लगातार संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं हो रही हैं, और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में भी खटास आई है। इन घटनाओं के मद्देनज़र, भारत सरकार ने नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल की घोषणा की है, जिसमें हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली, ब्लैकआउट अभ्यास, और नागरिकों की सुरक्षा तैयारियों का परीक्षण शामिल है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉक ड्रिल एक एहतियाती कदम है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को आपात स्थितियों के लिए तैयार करना है, न कि युद्ध की सीधी तैयारी। हालांकि, वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए, यह अभ्यास समय की मांग भी है।

कौन-कौन होंगे शामिल?

इस ड्रिल में ज़िला प्रशासन के साथ-साथ नागरिक सुरक्षा वार्डन, स्वयंसेवक, होम गार्ड (सक्रिय और रिजर्विस्ट दोनों), NCC, NSS, NYKS और स्कूल/कॉलेज के छात्र बढ़-चढ़ कर भाग लेंगे। इस तरह पहली बार इतने बड़े स्तर पर जनभागीदारी देखने को मिलेगी।

एक तरह से यह अभ्यास सिर्फ सरकार के लिए नहीं, बल्कि हम सबके लिए है। हर नागरिक की भागीदारी इस अभ्यास को सफल बना सकती है।

क्यों है यह मॉक ड्रिल जरूरी?

आज के दौर में हम हर रोज़ ऐसी खबरें सुनते हैं जो चिंता पैदा करती हैं – चाहे वो प्राकृतिक आपदा हो, आतंकी हमला हो, या साइबर वार जैसी घटनाएं। ऐसे में केवल सुरक्षा बलों पर निर्भर रहना काफी नहीं होता। हर नागरिक को सतर्क और प्रशिक्षित होना जरूरी है।

यही कारण है कि यह मॉक ड्रिल सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक गंभीर प्रयास है – यह सुनिश्चित करने का कि अगर कोई खतरा आए, तो हम सब उसके लिए तैयार हैं।

ब्लैकआउट, एयर रैड, और ‘कैमोफ्लाजिंग’ क्या है?

इस अभ्यास में कुछ रोचक और शायद आपके लिए नए शब्द शामिल हैं:

  • ब्लैकआउट मापदंड: जब खतरे के समय शहर की सभी लाइट्स बंद कर दी जाती हैं ताकि दुश्मन हवाई हमलों में निशाना न बना सके।
  • एयर रैड वार्निंग सिस्टम: ऐसे सिस्टम जो किसी संभावित हवाई हमले से पहले चेतावनी देते हैं।
  • कैमोफ्लाजिंग: ज़रूरी सरकारी या औद्योगिक स्थलों को ढककर या रंग बदलकर उन्हें दुश्मन की नज़र से छिपाना।

इन सभी पहलुओं की मॉक ड्रिल में टेस्टिंग की जाएगी।

क्या आम जनता को भी कुछ करना है?

जी हां! अगर आपके ज़िले या शहर में यह मॉक ड्रिल हो रही है, तो ज़िला प्रशासन की तरफ से दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। हो सकता है आपको थोड़े समय के लिए बिजली बंद मिले, सायरन सुनाई दे, या निकासी अभ्यास में भाग लेने को कहा जाए। ऐसे में घबराएं नहीं – बल्कि सहयोग करें। यही इस ड्रिल का मकसद है – सामूहिक तैयारी।

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