चार दिन बाद शिक्षक नेता राकेश सिंह ने जूस पीकर अनशन तोड़ा, विधायक व बीईओ रहे मौजूद
सीवान – बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के बैनर तले चार दिनों से जारी भूख हड़ताल गुरुवार को समाप्त हो गई। संघ के जिला अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह पिछले चार दिनों से अनशन पर बैठे थे। आखिरकार प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के बाद शिक्षकों की मांगों पर सहमति बनी।
समझौते के बाद अनशन समाप्त
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अवधेश कुमार, विधायक अमरजीत कुशवाहा और संघ प्रतिनिधियों के बीच लिखित सहमति बनी, जिसके बाद बीईओ जय कुमार और विधायक ने जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया। इस दौरान शिक्षकों के बीच खुशी और संतोष का माहौल देखने को मिला।
विधायक सत्यदेव राम ने दिया समर्थन, कहा – “सड़क से सदन तक शिक्षकों के साथ”
सभा को संबोधित करते हुए दरौली विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि उन्हें आंदोलन की जानकारी देर से मिली, लेकिन वह हमेशा से जनहित आंदोलनों के साथ रहे हैं। उन्होंने प्रशासन को फोन कर अधिकारियों से बातचीत कराई और कहा कि अगर मांगे न मानी जातीं, तो INDIA गठबंधन को सड़क पर उतरना पड़ता।
वार्ता बनी निर्णायक, तब जाकर टूटा अनशन
भूख हड़ताल समाप्त करने से पहले जिला शिक्षक समिति के सदस्यों और प्रशासन के बीच कई दौर की बातचीत हुई। प्रतिनिधि मंडल में शामिल अशोक कुमार प्रसाद, इरफ़ान अली, संजय सिंह, मनीष अभिषेक, जावेद आलम, मुन्ना कुमार आदि ने सभी मांगों को स्पष्ट रूप से रखा। अंततः जब लिखित समझौता तैयार हुआ, तभी भूख हड़ताल खत्म करने पर सहमति बनी।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का मिला साथ
सभा में कई राजनीतिक दलों और शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और शिक्षकों के हक में आवाज़ बुलंद की।
मौके पर मौजूद रहे:
– राज्य संयोजक सुरेन्द्र सौरभ
– राजद जिला अध्यक्ष ई. विपिन कुशवाहा
– माले जिला सचिव हंसनाथ राम
– सीपीआई सचिव तारकेश्वर यादव
– राजद सचिव दीपक यादव
इसके अलावा बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ, परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ समेत अन्य संगठनों ने भी मोर्चा संभाला।
अनशन स्थल पर शिक्षक नेताओं की ताकतवर मौजूदगी
संघर्ष के दौरान शिक्षकों ने एकजुटता की मिसाल पेश की। प्रमुख रूप से उपस्थित थे –
राजकपूर टीपू, महेश कुमार प्रभात, अजय कुमार, दिलीप कुमार, अरुण गुप्ता, बसंत लाल, मनोज कुशवाहा, रामदेव प्रसाद, धीरज कुमार, रजनीश भार्गव, ब्रजभूषण दूबे, नौशाद अली, अमर चौधरी, मृत्युंजय तिवारी समेत सैकड़ों शिक्षक।
संघर्ष सफल रहा, लेकिन संदेश स्पष्ट
शिक्षकों का यह आंदोलन दिखाता है कि जब मुद्दा न्याय का हो और इरादा अडिग, तो बदलाव मुमकिन है। प्रशासन को झुकना पड़ा, लेकिन शिक्षकों ने यह भी जताया कि अगर आवाज़ को न सुना गया, तो संघर्ष फिर खड़ा होगा।