सभापति सेंपी देवी ने ADG EOU को दिया आवेदन, तत्काल कार्रवाई और सम्पत्ति जांच की मांग
सिवान – सीवान नगर परिषद एक बार फिर भारी वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की चपेट में है। इस बार निशाने पर हैं नगर परिषद के प्रभारी प्रधान सहायक विजय शंकर सिंह, जिन पर करीब 200 करोड़ रुपये के घोटाले, पद के दुरुपयोग, और नियमों की अनदेखी के गंभीर आरोप लगे हैं।
सभापति सेंपी देवी ने इस पूरे मामले की शिकायत आर्थिक अपराध इकाई (EOU), बिहार सरकार को आवेदन देकर की है। उन्होंने दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई, संपत्ति जांच, और तत्काल पद से हटाने की मांग की है।
एक व्यक्ति, तीन जिम्मेदारियां
सेंपी देवी ने बताया कि विजय शंकर सिंह वर्ष 2020 से अब तक टैक्स दरोगा, अकाउंटेंट, और हेड क्लर्क के पद का एक साथ प्रभार संभालते आ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर कार्यों को बिना प्रक्रिया के अंजाम दिया।
बिना टेंडर 2500 निर्माण कार्य
नगर परिषद में करीब 2500 सड़क और नाला निर्माण कार्य बिना किसी निविदा प्रक्रिया के कराए गए। कामों की गुणवत्ता संदेहास्पद है, फिर भी 200 करोड़ रुपये तक का भुगतान कर दिया गया।
सरकारी टैक्स और शुल्क में भी गड़बड़ी
GST, लेबर सेस, इनकम टैक्स जैसी सरकारी देनदारियों का भुगतान नहीं किया गया। इसके बजाय यह रकम संवेदकों और कर्मचारियों में गैरकानूनी तरीके से वितरित की गई।
स्टोन चिप्स रॉयल्टी में हेराफेरी
मापी पुस्तिका में रॉयल्टी की दर अलग-अलग दर्शाई गई — कहीं ₹150 तो कहीं ₹95 प्रति घन मीटर, जिससे रॉयल्टी राशि में गड़बड़ी का संदेह है।
15 वार्डों की सफाई में फर्जीवाड़ा
30 वार्डों की सफाई आउटसोर्स एजेंसी को सौंपी गई, लेकिन शेष 15 वार्डों के नाम पर हर महीने 80–90 दैनिक मजदूरों की उपस्थिति दिखाई गई, जबकि बायोमेट्रिक उपस्थिति का रिकॉर्ड ही नहीं है।
हस्ताक्षर से बचाव, ताकि न पकड़ में आए फर्जीवाड़ा
विजय शंकर सिंह ने अधिकतर फाइलों पर खुद हस्ताक्षर नहीं किए, बल्कि अपने चहेते कर्मचारियों से फाइलें भरवाईं, जिससे घोटाले की ज़मीन तैयार हुई।
फर्जी वाउचर से करोड़ों का भुगतान
कई योजनाओं में फर्जी वाउचरों से भुगतान किया गया, जिनमें न तो समिति की स्वीकृति थी और न ही वित्त नियमों का पालन।
डीजल घोटाला – टंकी 50 लीटर की, खर्च 160 लीटर प्रतिदिन
सफाई वाहनों और फॉगिंग मशीनों में 160 लीटर डीजल का भुगतान प्रतिदिन दिखाया गया, जबकि टंकी की क्षमता मात्र 50 लीटर है।
निजी काम में सरकारी मजदूर
सभापति के अनुसार विजय शंकर सिंह ने अपने गांव के लोगों को दैनिक मजदूर बनाकर अपने ढाबे, मैरिज हॉल और निजी ड्राइवरी जैसे कामों में लगाया। इसकी पुष्टि CCTV फुटेज से हो सकती है।
एक ही योजना के लिए तीन बार भुगतान
जैसे योजना संख्या 221 के नाम पर 267, 451, और 882 नंबर से भी भुगतान दर्शाया गया है — यानी एक ही योजना में डुप्लिकेट भुगतान।
पीसीसी रोड और बेंच की लागत में हेराफेरी
10 फीट से कम चौड़ाई वाली सड़कों पर भी पीसीसी रोड बनवाए गए। बेंच की असली कीमत ₹4500 है लेकिन ₹11,509 दर्शाकर करोड़ों की निकासी की गई — वो भी कई वार्डों में बेंच लगाए ही नहीं गए।
सभापति की मांग: निष्पक्ष जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो
सभापति सेंपी देवी ने मांग की है कि
- निष्पक्ष जांच के लिए टीम गठित की जाए
- विजय शंकर सिंह को तत्काल पद से हटाया जाए
- संपत्ति की जांच हो
- दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए
क्या कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी?
अनुभूति श्रीवास्तव, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद सीवान ने कहा:
“यह मामला संज्ञान में है। 22 फरवरी 2025 को इस संबंध में आवेदन दिया गया था। विभाग को इसकी जानकारी है और सभी मामलों पर जांच चल रही है।”
यह मामला अब ईओयू के पाले में है। अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो यह बिहार के निकाय इतिहास का एक बड़ा घोटाला माना जाएगा।